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व्यंग्य: मीडिया विमर्श चैनल पुराण कथा उर्फ मुँहनोचवों का आतंक

सेलफोन से छोटा हुआ आदमी का कद और तुर्रा यह कि परम पदम में ढाई इंच की मुस्कान तथा ब्रहमांड-सा इंटरनेट लाइफ लाईन है.. और चैनल? लाइफ लाइनों का इस्तेमाल करना सिखाते हुए जनता को करोड़पति बना रहा है. अमिताभ और शाहरुख के नखरे हर्षद और तेलगी से कम हैं? अरब पति-करीना, रानी, प्रियंका के कौन बनेगा करोड़पति’ में आने का मतलब? सरगमी के चक्कर में कितने दुधमुहे-लिटिल चैंप कहां मर खप बिला गए कोई हिसाब है? दृश्यादृश्यमान टेली-प्रेम की खोज में नई-पुरानी पीढ़ी कहाँ खो गई है? समझ में नहीं आता दो गज जमीन की तलाश किसे है? चैनल, चैनल झूल रही जिंदा लाशें न अपुन सा न बेगाना, न कीचड़ सना चेहरा... न इंटेल और मेक्डोनाल्ड जब खा पीकर अन्न हुए तब भी कहाँ होश था? ई-पैसा, टी-रुपया, डी-डालर... किसके पास क्रेडिट कार्ड है? बिजली-पानी-गैस, यात्रा-भत्ता-वेतन, डीजल-पेट्रोल, बोल-चाल-ढाल सब बड़ी ई’ जैसे सास के बाद बहू यंू कि सास भी कभी... जैसे वनमानुष के बाद नरवानर, जैसे जस-यसवंत के बाद चिदंबरम, जैसे उदारीकरण के बाद भूमंडलीकरण और विश्वग्राम के बाद, ग्लोब अब फुटबाल घर, घर... आदमी विज्ञापन-उपभोक्ता और... (दलाल?) गले में पोस्टर किसी मल्टीनेशनल कंपनी का विज्ञापन, पीठ पर वितरक या प्रबंधन का ठप्पा, एक हाथ में मोबाइल दूजे में ब्रीफकेस (लैपटाप) अंदर उपभोक्ता सामान की लंबी सूची में हमारा (शहरी) और आपका (ग्रामीण) नाम सहर्ष शामिल है. अब प्याज के आंसू सूख गए हैं, यूं कि आखों पर मोटे-मोटे ग्लास चैनल मेनिया, चाउमीन का असर हा हंत दर्शन दूर... दर्शन-दिग्दर्शन?

तो नोन तेल लक्कड़ माचिस मोमबत्ती, ढेर सा परचून और फारचून-सफोला एक परचुनिया के हाथ बिकने स्क्रीन के सामने बैठे हैं. स्मार्ट श्रीमती ह्नील-घड़ी डिटर्जेंट के बगल में लक्मे मिस इंडिया तथा श्रीमान सेवन ओ क्लाक (सात बजे) से सटे मिस्टर एट ओ क्लाक (आठ बजे) और रिमोट? खदेरन के हाथ में, रोज एक नया चैनल आ रहा है. खबरें ढाली जा रही हैं अतः टेली-नेटवर्क और शाॅपिंग का भरपूर लाभ उठायें. ऐसे तो निखिल भारत चरागाह हुआ पर कितने लाख गांव-घर अभी रेंज के बाहर हैं? गणना जारी है. जहां कहीं होंगे आप वन इंडिया प्लान होगा आपके साथ, आप की हर तरह की भूख, प्यास मिटाने के लिए-रिलायंस, हच, एयरटेल-भारती और टाटा-इंडीकाॅम हाजिर हैंµ चैनलों एवं इंटरनेट (वेब वर्ड) से लैस. क्या आइडिया है, सेटों के फटने-फुटने और आपके मरने-जीने की न तो कोई गांरटी है और न ही लेखा-जोखा चैनली प्रभु ठेकेदार हैं, पूरा माफिया राज. क्या देशी क्या विदेशी पचास फीसदी चैनल अजब, गजब भारत और शाबाश इंडिया हैं. एक बटा चार आस्था-संस्कार-श्रद्धा-परमार्थ और चवन्नी के न्यूज में बिजनेस और सेंसेक्स का समाचार. एक समाचार पर दर्जन भर विज्ञापन और विज्ञापनों मे चैनलों के आका अपने-अपने घरानों की सारंगी बजाते हैं.

संचार क्रांति ने जो तहलका मचाया बोफोर्स, तहलका और ताबूत घोटालों से भी ज्यादा खतरनाक. सभी छोटे-बड़े, बंटे-घिसे-पिटे घराने मोबाइल’ हुए और चैनलों को प्रभुदेवाओं, बाबाओं और सानियाओं के सिपुर्द कर स्वयं डिपार्ट मेंटल-स्टोर, बिवग्योर-हाउस और रेस्त्राओं में घुस लिये. काउंटरों पर खड़े होकर उनका दियासलाई-सूई से लेकर आलू-प्याज, तेल-साबुन, कपड़ा-लत्ता, कार-मोटर बेचना और चिकन-पराठे खिलाना... पिज्जा? खाना तथा जानीवाकर-हाॅयवार्ड पांच हजार पीना और पिलाना उत्तर-आधुनिक पूंजीवादी समाज का नया चेहरा है. सिर्फ एकसूत्राीय कार्यक्रम जैसे भी कैसे भी बाजार और आदमी अपनी मुट्ठी में होना मांगता. गे-वे-बे पार्टियाँ आयोजित करानी पड़े तो वह भी करेंगे. तो आपके जीवन के कृष्ण पक्ष में एरियल-सी सफेदी हो, न हो. आपके मकान-कमरा हो, न हो. अपने मकान-कमरों को आपने बिड़ला ह्वाइट और एशियन-नैरोलॅक, लुक सा रंगा हो, न हो. आप बैलगाड़ी, जुगाड़-गाड़ी, ठेलिया पर रात गुजारते हों या गुमटी के आगे लम्बी बेंच पर. आप झोंपड़ी वाले हों या अंजान बावड़ी, फुटपाथ, प्लेटफार्म आपका ठौर-ठिकाना, पर टाटा-टाटा, बिड़ला-बिड़ला, सिंहानिया-सिंहानिया, अंबानी-अंबानी, बाटा-लखानी, नोकिया-एल.जी. सोनी इरिक्सन, राबर्ट मुर्डोख आपको चूना लगाकर-रंगीन बनाकर दम लेंगे. मय झोपड़ी-मकान, फुटपाथ-बावड़ी-प्लेटफार्म आपको चमाचुम्म कर देंगे, पंखे-कूलर से सस्ता रंगीन हैंडसेट (सेलफोन) ले जाइये साथ में सिमकार्ड मुक्त. बड़े कलर टी.बी. संग छोटा-छोटू और ए.सी संग श्वेत श्याम तथा फ्रिज संग डी.वी.डी या एम.पी. थ्री मुत. गृहिणी, मैडम, टीनएजर सबका विशेष खयाल रखा गया है. दहेज पैकेज में एक राकेट बोनस में जिसे खुरचते-फोड़ते ही आपका हनीमून सीधे अमेरिका नहीं तो जापान में... पैकेज की कीमत डालर में सुन माताएँ दाँतों तले उंगली दबाना और पिता सिर खुजाना नहीं भूलते और बेटियाँ अवाक् ...

देशी या विदेशी लक्जरी कार संग यामहा-फेजर बोनस में, चाहें तो हवाई का रिटर्न टिकट भी उपलब्ध है अलग पैकेज में और दो-तीन रुपये के शैंपू पर कोई भी बाइक चुनने को आप वैसे ही स्वतंत्रा हैं जैसे नेट पर प्रेमी, प्रेमिका, पति, पत्नी एक-दूसरे अथवा तीसरे-चैथे को चुन रहे हैं, जिसकी जैसी जो परम्परा इलेक्ट्रान, प्रोटान और न्युट्रान का जमाना है, पिता अमेरिका मेें माताश्री मुंबई और लल्लू देहरादून. बहरहाल, हमारी पड़ोसन मैडम  (अब भाभी’ सा चलन नहीं) ने खेद प्रकट करते हुए कहा-लाखों के पैंटीन-सनसिल्क से सिर के बालों की सेवा-टहल किया पर न तो पद्मावती से घनेरे हुए न ही नागमती से फरहर. मनपसंद बाइक का क्या करना? और राजा रत्नसेन उर्फ प्राणनाथ की सुने- गोदरेज डाई से रंगाई-पुताई हुई पर जुल्फें हैं कि टाइड की सफेदी को भी मात दे रहीं. उपभोक्ता फोरम में मुकद्मा ठोंका है, पाई-पाई का हिसाब लेकर रहेंगे.उत्तर-आधुनिक गांव तक यही कहानी, मड़ई-मड़हा में लेडी-जेंट्स ब्युटी शाॅप-पार्लस और केबिल-नेटवर्क का जाल बिछा है. अब तो भैंस-गाय भी रामायण- महाभारत और सास-बहू देखे बिना दूध नहीं देती और नन्हे, मुन्ने-चुनमुन ‘मैं हूं डान’ वाला रिंगटोन सुने बगैर अन्न-जल ग्रहण नहीं कर रहे. परदेश में रह रहे पतियों ने अपनी, अपनी पत्नियों के सेट में रंगून’ वाला टोन लोड करा दिया है. मुर्गा बोल न दे तो सुबह नहीं होगी. दद्दू का सेट’कु क डू कूं.

गुड्ड मार्निग. चैनल की सुर्ख दुनिया में आपका तहेदिल से स्वागत है. हम रात, रात भर जगा किये पूरी दुनिया दास कबीर की तरह चैन की नींद सोती मिली. किसानों-खेत मजदूरों, दलितों स्त्रिायों, बेरोजगारों, अल्पसंख्यकांे की हत्याओं और आत्महत्याओं वाली खबरें मुहनोचवा वाली खबर की तरह सफेद झूठ था? सूरदास अंधे थे, केवल बिहारी की बार-बालाओं का जगराता था. बाबा रामदेव का आशीर्वाद और सानिया मिर्जा कमाल का साक्षात्कार था. बासी भात संग मछली-करी चैनली भट्ठी पर मशहूर कुक-पंचतारा के हाथों ताजा हो रहा, शाम को स्टिंग आपरेशन में कुछ इधर-उधर, घूस-फूस, दुर्योधन-अभिमन्यु तथा प्रिंस जैसी एकांकियों के बाद, राखी सावंत-मिक्का और बाब सहगल के कार्टून, ऐश्वर्या की शादी पर फिल्मी सितारों का छाती कूट मातम, विपाशा-जाॅन इब्राहिम की गुटर गूं, नागिन को बीन की धुन पर नचाते, गणेश जी को दूध पीते, हनुमान जी को आँखों से आंसू टपकाते, साईं बाबा की कंठ माला को बढ़ते देखना-दुकान जी का मुच्छ नृत्य. मिमिकिरी का ऐसा नशा चढ़ाया कि अभिनेता वालीवुड और नेता संसद भवन-राजपाट छोड़कर गजोधर बने फिर रहे हैं. पता नहीं एकता कपूर के सीरियलों को लोग झेल रहे हैं कि घूंट-घूंट-घोट-पी रहे हैं? रात में पेज थ्री खुलेगाµएक से एक भूत-पिशाच-बैताल और जिन्न-जिन्नातों की उछल-कूद, मनोहरी-मनमोहनी कहानियाँ-पार्टियाँ देखना भूलिएगा नही. अभी टी-घुट्टी से गलातर करें. जेब में हाथ ले जाने की जरूरत नहीं हम टी-रुपैया- डालर-पाउंड खाते, चबाते हैं. हमारे चार अंक से कम को कोई सामान नहीं छोटा सा रेडियो भी.

कबाड़खाने में पड़ा रेडियो अब प्याज के आंसू नहीं रोता, उसकी जगह एफ एम सहित अन्य चैनलों ने ले लिया है. यहां भी म्युजिक चैनलों से नाज, नखरे हैं. बहरहाल साप्ताहिक हिन्दुस्तान और धर्मयुग अपनी मौत रामनाम सत् हुआ? दूरदर्शन सारिकाओं को कहां चबा गया था. दृश्य मीडिया हमारे अंदर इतना गहरे जड़ जमा चुका, अब हम चैनली प्रभुओं की भाषा बोलने लगे. पुस्तकें, पत्रा-पत्रिकाएं, पूरा पुस्तकालय, साहित्य, नेट’ पर और अब साहित्य-चैनल (दूसरी पारी) की खबर है. (बजरंगिये, लहालोट हैं.) माडलों की तरह रैम्प पर कैटवाॅक करते साहित्यकार-कारा, पाश्र्व में हरमिशिया संगीत झलक दिखा जा. अभी छोटा सा कामर्शियल ब्रेक फिर कहानी. बेगपाइपर का विज्ञापन गालिब गोलमेज के ऊपर, पहले तोबा, तोबा... महोदय. जिसे तोबा करना हो डाक्टर झंडेवाला के पास जाये, आप... वत्सला, स्पीच बाक्स में-साहित्य चैनल पर व्यापक सम्मेलन अगले महाकुंभ में प्रस्तावित है, उर्दू-हिन्दीं में. हाँ या ना वहीं होगा... अभी कोई लेखिका पढ़े कहानी-ऐ लड़के छूकर देख मुझे कैसे लगती मैं कहानी... और कविता की चितवन सानिया सी सनसनाहट... तो दर्शको! आज का प्रश्न कविता, कहानी और सानिया में कौन अधिक सैक्सी? एस एम एस करेंµबी एस एन एल. रिलायंस, हच, एयरटेल-भारती टाटा-इंडीकाम अपने-अपने नंबर से अपने-अपने नंबरों पर... क्या आइडिया है?

तो हम लूटने और डाका डालने नहीं आये यह लीजिए कद बढ़ाने की मशीन साथ में बौना करने की हथौड़ी फ्री. कविता-कहानी संग मिर्जा की फोटो बोनस में और यह खरा साउना बेल्ट कमर टेढ़ी करने में उस्ताद. मिक्सिंग, रीमिक्सिंग का दौर कांटा लगा आर या पार, बेबी डॉल, गनेश बबुआ के माम, डैड के दौरे. भक्ति में रीति और वीरगाथाएँ-राम और कृष्ण की रथयात्राएँ, स्वामी अड़गड़ानंद और गड़बड़ानंद, माते निर्मला और सुशीला देवी. स्वामी उड़न खटोला और सबसे आगे-फला-हारी बाबा. चैनलों के ब्रांड एंबेसडर बाबा रामदेव (चैनलों की अनुकंपा से आधा हिन्दुस्तान यानी बिहार के राज पुरोहित होते भये).

द्वापर के किसना चैनल युग में, बनाव, सिंगार, पटार यूँ कि आई जी पंडा (दूसरी राधा!) बाबाओं-तांत्रिकों की फौज में एक अकेला रामदेव अलख निरंजन. दामने योग पातंजल और चोला मेड इन अमरीका... तो बाबा की काया पांच इंच के स्क्रीन में आधा समाई आधा माया. फुट भर का हठ और वर्गगज में धंधा-योग भोग पीठ और पुष्पधन्वा फार्मेसी. आहार चैनल का परिशिष्ट है. एक से एक चूरन, टेवलेट, प्राश और सोमरस? साठा पर पाठा जवानी के आनंद रस में आदम और इव के पसलियों का चूर्ण नहीं? साथ में वात, पित्त, कफ नाशक केप्सूल मुत ले जायें. स्थायी ग्राहक को आठों पहर का भूत भगावन गंडा, ताबीज, जंत्री बोनस में... कमर सीधी कराना हो या पेट अंदर, बाहर. लिवर, किडनी सही जगह पर नहीं, धड़कन सें सेक्स को मात दे रही, रक्तचाप बेकाबू-पूरा शरीर शर्करा. कैंसर, कोढ़, एड्स, हेपटाइटिस... जी जी आईं जजबाब दे चुके एम्स’ ने तोबा करली ओर अमेरिकन’ हाथ खड़े... चंपे चले आओ! बाबा के दर्शन मात्रा से सब उड़न छू... केवल ब्लड प्रेशर का उतार-चढ़ाव जारी रहेगा.

चैनल-चैनल अंड-पिंड-ब्रहमांड़ अंडज- पिंडज और शालिग्राम. आस्था-संस्कार- श्रद्धा-परमार्थ, कल आज परसों, जनता की अदालत में रजत शर्मा उतने शाइन, जितना इंडिया’ मार्का पर बाबा. सहारा समय से स्टार उत्सव तक बदनाम देव की माया और नवासे? ग्यारह मुख और इक्कीस भुजाएँ. चैनल क्रान्तिः रूस से आयात हुई? पेंटागन कब का ढह चुका और अब घिसे हुए शालिग्राम चैनल-चैनल लुढ़क रहे... एक क्षण हंसो-हंसो जल्दी हंसो का सिंह दहाड़-लाफिंग आसन दूसरे ही क्षण मौत का खौफ दिखाकर बिड़ला सन लाइफ से लेकर मैक्स लाइफ तक यमराज के भेस में मल्टीनेशनल कंपनियाँ-बाबाओं, प्रभुदेवाओं और सानियाओं की आड़ लेकर मुँह नोच लेने पर आमादा. पूरा जम्बू दीप ऐसे मुहनोचवों के आतंक से त्राहिमाम त्राहिमाम...

ए-252, शांतिपुरम, फाफामऊ
इलाहाबाद
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